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हर देह का चूल्हा ये हैं जलाती।
साँसों की धौंकनी एकता है लाती।
बड़े काम की योग बड़े काम आती।
आत्म को परमात्म से मिलाती।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
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