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अखण्ड लयपथ दे जाना
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
प्राणों में शीतल सरिता-सी,
मेरी साँसों में घुल जाना।
अंतस सुख की अभिलाषा में,
आकुलता से भर जाना।
प्रेम, समर्पण, अभिलाषा के,
अहसास ज़मीं पर दे जाना।
मुझे छूकर जाने वाले,
स्मृतियों के वृक्ष बना जाना।
वो संबंधों की प्रीति का,
सौ-सौ श्रृंगार करते जाना।
मेरी ख़ातिर ही जीना,
मेरी ख़ातिर ही मर जाना।
संवेदन संवाद करे तो,
अनपेक्षित बेला में आ जाना।
वादों संबंधों का स्वाद लिए,
सूनी आँखों से उमड़ जाना।
पिपासा के विकल क्षणों में,
मन पर अंकुर बन उग जाना।
प्रिया देश की पुरवाई जैसे,
अंतर्वेधी ख़ुशबू दे जाना।
मुक्त पथ पर चल पड़ेंगे पाँव,
अखण्ड लयपथ दे जाना।
प्रेम खड़ा हो जिस राह तमाम,
उस राह का सूचक दे जाना।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
प्राणों में शीतल सरिता-सी,
मेरी साँसों में घुल जाना।
अंतस सुख की अभिलाषा में,
आकुलता से भर जाना।
प्रेम, समर्पण, अभिलाषा के,
अहसास ज़मीं पर दे जाना।
मुझे छूकर जाने वाले,
स्मृतियों के वृक्ष बना जाना।
वो संबंधों की प्रीति का,
सौ-सौ श्रृंगार करते जाना।
मेरी ख़ातिर ही जीना,
मेरी ख़ातिर ही मर जाना।
संवेदन संवाद करे तो,
अनपेक्षित बेला में आ जाना।
वादों संबंधों का स्वाद लिए,
सूनी आँखों से उमड़ जाना।
पिपासा के विकल क्षणों में,
मन पर अंकुर बन उग जाना।
प्रिया देश की पुरवाई जैसे,
अंतर्वेधी ख़ुशबू दे जाना।
मुक्त पथ पर चल पड़ेंगे पाँव,
अखण्ड लयपथ दे जाना।
प्रेम खड़ा हो जिस राह तमाम,
उस राह का सूचक दे जाना।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
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