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अखण्ड लयपथ दे जाना
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
प्राणों में शीतल सरिता-सी,
मेरी साँसों में घुल जाना।
अंतस सुख की अभिलाषा में,
आकुलता से भर जाना।
प्रेम, समर्पण, अभिलाषा के,
अहसास ज़मीं पर दे जाना।
मुझे छूकर जाने वाले,
स्मृतियों के वृक्ष बना जाना।
वो संबंधों की प्रीति का,
सौ-सौ श्रृंगार करते जाना।
मेरी ख़ातिर ही जीना,
मेरी ख़ातिर ही मर जाना।
संवेदन संवाद करे तो,
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
प्राणों में शीतल सरिता-सी,
मेरी साँसों में घुल जाना।
अंतस सुख की अभिलाषा में,
आकुलता से भर जाना।
प्रेम, समर्पण, अभिलाषा के,
अहसास ज़मीं पर दे जाना।
मुझे छूकर जाने वाले,
स्मृतियों के वृक्ष बना जाना।
वो संबंधों की प्रीति का,
सौ-सौ श्रृंगार करते जाना।
मेरी ख़ातिर ही जीना,
मेरी ख़ातिर ही मर जाना।
संवेदन संवाद करे तो,
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