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"आह्लाद उमंग से भर देना"
संवेदन झालर हिम शिखर चढ़े तो
अंतर्मन की घटा उमड़ पड़े तो,
हथेली को करपात्र बना लेना।
टूटी प्रार्थनाएँ गिर पड़े तो,
उठाकर उन्हें टाँक लेना।
जब उठते भँवर को देखो तो,
ख़ुद को बिलोकर रोक लेना।
प्रयोजन विधान का जो भी हो,
चित्त की चेष्टा समझ लेना।
प्रेम, दया, त्याग, बलिदान,
है जिसमें वो हैं धनवान।
माँगता तुमसे हर इंसान,
अनमोल अर्पण कर देना।
नश्वर दुनिया के आंदोलन,
जन्में कैसे समझ लेना।
नफ़रत यदि कहीं मिले तो,
अहिंसा की मिश्री दे देना।
अप्रतिम ख़ुशियों के तुम साक्षी,
अशेष प्रेम रेखांकित करना।
अक्षत ऊर्जा की कोमलता को,
आह्लाद उमंग से भर देना।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
संवेदन झालर हिम शिखर चढ़े तो
अंतर्मन की घटा उमड़ पड़े तो,
हथेली को करपात्र बना लेना।
टूटी प्रार्थनाएँ गिर पड़े तो,
उठाकर उन्हें टाँक लेना।
जब उठते भँवर को देखो तो,
ख़ुद को बिलोकर रोक लेना।
प्रयोजन विधान का जो भी हो,
चित्त की चेष्टा समझ लेना।
प्रेम, दया, त्याग, बलिदान,
है जिसमें वो हैं धनवान।
माँगता तुमसे हर इंसान,
अनमोल अर्पण कर देना।
नश्वर दुनिया के आंदोलन,
जन्में कैसे समझ लेना।
नफ़रत यदि कहीं मिले तो,
अहिंसा की मिश्री दे देना।
अप्रतिम ख़ुशियों के तुम साक्षी,
अशेष प्रेम रेखांकित करना।
अक्षत ऊर्जा की कोमलता को,
आह्लाद उमंग से भर देना।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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