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249. सब कुछ ख़ाली है तो - कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan May 9, 2023
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वीराने में
एक नग्न, उत्तम ऊँचे स्थान पर
नज़रे गडाए हुए अवसाद
धरती के पिछले
दरवाज़े पर खड़ा है
ख़ुद का आकार बना
वह यहाँ-वहाँ, जहाँ-तहाँ
बेतरतीब पड़ा है।

क्योंकि हर बार जब मैं
उसे घर से बाहर निकालने की
कोशिश करता हूँ
तो वह अनजानी हँसी हँसता है
वास्तव में इस सड़क पर
लंबे समय तक चलता रहता है
यह जानते हुए कि यह
केवल तबाही की गोद में बसता है।

शून्य से क्या आता है?
शून्य में क्या जाता है?
बाहर निकलें या निकाले
या कि कुछ और करें
परिवर्तन यही है
या और कहीं है
सब कुछ ख़ाली है तो अनंत
किस चीज़ से भरता है।
-© कामिनी मोहन।

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