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230. मानस पटल पर - कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan March 9, 2023
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हर दिन मन घूमता रहता है,
संतुलन की कमी को टटोलता रहता है।
अस्थिरता को विचित्र रंग में लपेटे हुए एक मिश्रण है,
जो ईट से ईट को जोड़ता रहता है।

अस्थिर गति स्थिरांक लिए,
अंधेरी दुनिया को घेरता रहता है।
अजन्मा संयोजन चारों ओर से,
पीली ज़र्द उदासी की भाषा में बोलता रहता है।

धुँधली रोगग्रस्त रोशनी को धमनियां निगल जाती है,
भरा भरा-सा रक्त धीरे-धीरे सूखता रहता है।

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