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मेरा वो मकान क्यूँ सूना हुआ है...
मोहब्बत थी ईंटे और प्यार जिसमें चूना हुआ है...
उजड़ी सी दीवारों के बाद भी, क्यूँ इश्क का घोंसला यूँ बूना हुआ है...
हार कर जिंदगी में सब, दीवानगी की जीत का अजब नमूना हुआ है...
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