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दर्द हो दिल में कितना ही पर मुस्काना तो होगा,
सुकूँ मिले तुझको ऐसा एक ठिकाना तो होगा।
घना अँधेरा, लम्बा रास्ता,डगमग डगमग चाल,
हो ना हो उस रस्ते में कोई मयखाना तो होगा।
कितने आँसू,कितनी आहें,कितना खालीपन,
कैसे मापेगा कोई? कुछ पैमाना तो होगा।
वो जो सूनी आँखें थीं वो फूट के रोईं आज
बिछड़ा था जो कल वो अब से अनजाना तो होगा।
जो हारा था जीवन से वो जीत गया है आज,
कितनी रातें जागा है ये बतलाना तो होगा।
दिनभर चाहे जहाँ रहें वो जहाँ कहीं भी फुदकें
शाम ढले हर पंछी को अपने घर जाना तो होगा।
-ज्योति सत्यम्
01/02/2023
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