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हाँ! माना इक कमी सी है, जिंदगी थमी सी हैं
सब कुछ तो है पास पर शायद कुछ भी नहीं है
जो सुकून छीन ले वो पाने की कोशिश न की
और जो न मिला उसकी कभी ख्वाहिश न की
कुछ खामोशियों में छुपी हुई बातें
थक सी गई इस शोर से
कहते है खुद के लिए तो सारी उम्र पड़ी
पर क्या खोया क्या पाया हमने
ढूंढोगे जवाब में तुम रब को ही खुद कहीं।
Pragati Juneja
सब कुछ तो है पास पर शायद कुछ भी नहीं है
जो सुकून छीन ले वो पाने की कोशिश न की
और जो न मिला उसकी कभी ख्वाहिश न की
कुछ खामोशियों में छुपी हुई बातें
थक सी गई इस शोर से
कहते है खुद के लिए तो सारी उम्र पड़ी
पर क्या खोया क्या पाया हमने
ढूंढोगे जवाब में तुम रब को ही खुद कहीं।
Pragati Juneja
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