Share0 Bookmarks 49806 Reads1 Likes
बरसों पहले कोशिश की थी कविता लिखने की
पर तेरे रहते नहीं जरूरत अल्फ़ाज़ों को ढूँढने की।
कभी समझना उसकी बातों से, बातों मे
पर तेरे रहते नहीं जरूरत अल्फ़ाज़ों को ढूँढने की।
कभी समझना उसकी बातों से, बातों मे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments