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बरसों पहले कोशिश की थी कविता लिखने की
पर तेरे रहते नहीं जरूरत अल्फ़ाज़ों को ढूँढने की।
कभी समझना उसकी बातों से, बातों में जीवन कहानी हैं
बहुत कुछ मिलने की आस, इस आस में बहुत सा खास
बस कुछ देर बैंठ कर तो देखो माँ के पास।
Pragati Juneja
पर तेरे रहते नहीं जरूरत अल्फ़ाज़ों को ढूँढने की।
कभी समझना उसकी बातों से, बातों में जीवन कहानी हैं
बहुत कुछ मिलने की आस, इस आस में बहुत सा खास
बस कुछ देर बैंठ कर तो देखो माँ के पास।
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