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खेल सोशल मीडिया का !

Jitendra MeenaJitendra Meena December 10, 2021
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आजकल सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म हर स्मार्टफोन में आने लगे है आधुनिकता के बढते दौर में हर बच्चे बच्चे के पास भी स्मार्टफोन रहने लगा है अब सवाल है की सोशल मीडिया क्या है ? यदि सोशल मीडिया ना होता तो एक आम व्यक्ति की जिन्दगी पर क्या असर पडता ? सोशल मीडिया पर किस तरह व्यक्ति काम कर रहा है ? उसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या है ? और सोशल मीडिया ने हमें क्या दिया ?

सोशल मीडिया ने आज एक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नया आयाम दिया है , आज प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी डर के सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रख सकता है और उसे हज़ारों लोगों तक पहुँचा सकता है , परंतु सोशल मीडिया के दुरुपयोग ने इसे एक खतरनाक उपकरण के रूप में भी स्थापित कर दिया है तथा इसके विनियमन की आवश्यकता लगातार महसूस की जा रही है । अतः आवश्यक है कि निजता के अधिकार का उल्लंघन किये बिना सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर नए विकल्पों की खोज की जाए, ताकि भविष्य में इसके संभावित दुष्प्रभावों से बचा जा सके ।

आज तेजी से दौड़ती भागती जिंदगी में हर व्यक्ति की एक अति महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है मोबाइल । बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी अब मोबाइल के दीवाने हो चुके है , यद्यपि इसमें कोई बुराई नहीं है । लेकिन आज  के बच्चों का मोबाइल और सोशल साइट्स के प्रति बढ़ता आकर्षण चिंता का विषय है ।  हालाँकि देखा जाये तो मोबाइल ने बच्चों को तेजी से बदलते परिवेश से सामंजस्य बनाये रखने में बहुत सहायता की है , पर बच्चों का इसके प्रति बढ़ती संलिप्तता चिंताजनक है । बच्चों  के लिए सोशल मीडिया जहाँ एक सकारात्मक भूमिका अदा कर रहा है वही दूसरी तरफ कुछ बच्चे इसका दुरुपयोग कर गलत रास्ते भी अपना रहे है ।

आज के बच्चे उम्र से पहले ही परिपक़्व हो जा रहे है उसका एक अहम हिस्सा सोशल मीडिया है । आजकल बच्चे सोशल साइट्स पर प्रसिद्धि पाने के लिए , अधिक से अधिक लाइक्स और कमेंट पाने के लिए तरह तरह के फोटो और अन्य चीजे पोस्ट करते है , जो कभी कभी तो आपत्ति जनक भी होती है और तो और अलग तरीके से फोटो खींचने के चक्कर में जान तक गवां देते है । सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हमेशा ऑनलाइन रहने से बच्चों के कोमल मन पर एक अनावश्यक दबाव सदा ही बना रहता है । वर्तमान स्तिथि ये है कि घंटो ऑनलाइन रहने और गैरजरूरी साइट्स देखते रहने के कारण  उनकी आँखे और सर दोनों दर्द करते है । पहले स्कूलों में खेल कूद पर पूरा ध्यान होता था पर अब बच्चों पर कोर्स पूरा करने का इतना दबाव रहता है की खेलों के प्रति उनका कोई आकर्षण ही नहीं होता । बच्चों के स्वास्थ्य के लिए ऐसा कोई कार्यक्रम स्कूलों में भी नहीं होता है । स्कूल के बाद घर के कमरों तक ही उनका जीवन सीमित हो जाता है और फिर वे मोबाइल में ही खोये रहते है । इस हद तक वे डूब जाते है कि परिवार और समाज से अलग एकाकी जीवन जीने लगते है , जो किसी भी परिस्थति में उनके सर्वागीण विकास के लिए ठीक नहीं है । वे अपने माँ बाप और परिवार से दूर होते जाते है । परिवार का आपसी सामंजस्य समाप्त होता जा रहा है । उनका ऐसा व्यवहार उनके व्यक्तित्व , सोच ,आचार विचार और भविष्य पर बुरा प्रभाव डाल रहा है ।  कभी कभी तो इसके  तनाव के कारण वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते है और उनका ध्यान पढाई से पूरी तरह भटक जाता है ।

यद्यपि इस बात की सत्यता से  इंकार नहीं किया जा सकता कि आज के समय में सोशल मीडिया के आने से संचार के क्षेत्र में एक नयी क्रांति आयी है । बच्चों और बड़ों को भी अपना ज्ञान और जानकारी बढ़ाने , अपनी प्रतिभा दिखाने , रचनात्मकता बढ़ाने का बढ़िया मौका मिल रहा है लेकिन इसके बावजूद सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा इस्तेमाल बच्चों के लिए हानिकारक है । अधिक देर तक मोबाइल देखना और सुनना आँख और कान दोनों के लिए नुकसानदायक होता है । इसीलिए सोशल मीडिया का प्रयोग बच्चों को सीमित मात्रा में और जरुरत भर ही करना चाहिए । जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते है वैसे ही मोबाइल और सोशल नेटवर्क्स के भी दो पहलू है , एक सकारात्मक है तो दूसरा नकारात्मक । यदि इसका इस्तेमाल सोच समझकर सही दिशा में किया जाये बच्चों के साथ साथ बड़ों के लिए भी लाभदायक होता है ।

एक अनुमान के मुताबिक दुनिया के 3.96 बिलियन से अधिक लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते है । आज पूरी दुनिया का 70 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा सोशल मीडिया पर व्यस्त है और यह संख्या बढ़ती चली जा रही है एक सर्वेक्षण के अनुसार हाई स्कूल के 72 प्रतिशत और कॉलेज के लगभग 80 प्रतिशत छात्र सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं । सोशल मीडिया वेबसाइटों के अति प्रयोग से छात्रों के व्यक्तिगत और शैक्षणिक जीवन दोनो को ही नुकसान हो रहा है ।

सोशल मीडिया एक अपरंपरागत मीडिया है । यह एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है जिससे इंटरनेट के माध्यम से पहुंच बना सकते हैं । सोशल मीडिया एक विशाल नेटवर्क है , जो कि सारे संसार को जोड़े रखता है । यह संचार का एक बहुत अच्छा माध्यम है । यह द्रुत गति से सूचनाओं के आदान-प्रदान करने में काम आता है सोशल मीडिया के जरिए ऐसे कई विकासात्मक कार्य हुए हैं जिनसे कि लोकतंत्र को समृद्ध बनाने का काम हुआ है जिससे किसी भी देश की एकता, अखंडता, पंथनिरपेक्षता, समाजवादी गुणों में अभिवृद्धि हुई है । 

2014 के आम चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने जमकर सोशल मीडिया का उपयोग कर आमजन को चुनाव के जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी । इस आम चुनाव में सोशल मीडिया के उपयोग से वोटिंग प्रतिशत बढ़ा, साथ ही साथ युवाओं में चुनाव के प्रति जागरूकता बढ़ी । सोशल मीडिया के माध्यम से ही 'निर्भया' को न्याय दिलाने के लिए विशाल संख्या में युवा सड़कों पर आ गए जिससे सरकार दबाव में आकर एक नया एवं ज्यादा प्रभावशाली कानून बनाने पर मजबूर हो गई । लोकप्रियता के प्रसार में सोशल मीडिया एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है, जहां व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने किसी उत्पाद को ज्यादा लोकप्रिय बना सकता है । आज फिल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसारण भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है । वीडियो तथा ऑडियो चैट भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हो पाई है जिनमें फेसबुक, व्हॉट्सऐप, इंस्टाग्राम कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं ।

सोशल मीडिया का गलत तरीके से उपयोग कर कुछ लोग दुर्भावनाएं फैलाकर लोगों को बांटने की कोशिश करते हैं । सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक और नकारात्मक जानकारी साझा की जाती है जिससे कि जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । कई बार तो बात इतनी बढ़ जाती है कि सरकार सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल करने पर सख्त हो जाती है ।

सोशल मीडिया साइबर-बुलिंग को बढ़ावा देता है । यह फेक न्यूज़ और हेट स्पीच फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । सोशल मीडिया पर गोपनीयता की कमी होती है और कई बार आपका निजी डेटा चोरी होने का खतरा रहता है । साइबर अपराधों जैसे- हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है ।

आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से धोखाधड़ी का चलन भी काफी बढ़ गया है, ये लोग ऐसे सोशल मीडिया उपयोगकर्त्ता की तलाश करते हैं जिन्हें आसानी से फँसाया जा सकता है । सोशल मीडिया का अत्यधिक प्रयोग हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है । सोशल मीडिया ने समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ने और खुलकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर दिया है । आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारत में तकरीबन 350 मिलियन सोशल मीडिया यूज़र हैं और अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2023 तक यह संख्या लगभग 447 मिलियन तक पहुँच जाएगी । वर्ष 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय उपयोगकर्त्ता औसतन 2.4 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं । इसी रिपोर्ट के मुताबिक फिलीपींस के उपयोगकर्त्ता सोशल मीडिया का सबसे अधिक (औसतन 4 घंटे) प्रयोग करते हैं, जबकि इस आधार पर जापान में सबसे कम (45 मिनट) सोशल मीडिया का प्रयोग होता है । 

इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया अपनी आलोचनाओं के कारण भी चर्चा में रहता है दरअसल, सोशल मीडिया की भूमिका सामाजिक समरसता को बिगाड़ने और सकारात्मक सोच की जगह समाज को बाँटने वाली सोच को बढ़ावा देने वाली हो गई है । भारत में नीति निर्माताओं के समक्ष सोशल मीडिया के दुरुपयोग को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है एवं लोगों द्वारा इस ओर गंभीरता से विचार भी किया जा रहा है । सोशल मीडिया का दुरुपयोग

आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में फेसबुक, ट्विटर समेत कई साइटों पर 3,245 आपत्तिजनक सामग्रियों के मिलने की शिकायत की गई थी जिनमें से जून 2019 तक 2,662 सामग्रियाँ हटा दी गईं थी । उल्लेखनीय है कि इनमें ज़्यादातर वह सामग्री थी जो धार्मिक भावनाओं और राष्ट्रीय प्रतीको

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