
Share0 Bookmarks 216 Reads0 Likes
तुम चीखते रहो चिल्लाते रहों
फिर भी वो उसे नाटक समझेंगे ,
बेच डाला जिन्होने खुद को
वो तुम्हारा दर्द क्या समझेंगे ,
यही तो मेरे देश का सिस्टम है
तुम रोते रहो वो उसे खेल समझेंगे ,
समय से तो पहुची थी परीक्षा देने
भ्रष्ट तंत्र ने उसे परीक्षा मे बैठने न दिया ,
समय से ही टहला दिया उसे इस गेट से उस गेट तक
मगर बिके हुए लोगों ने उसे जाने न दिया ,
वो भी माँ बाप की उम्मीद पूरा करना चाहती थी
अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी ,
मगर कुछ अपने आप को बेच चुके
शिक्षकों ने उसे परीक्षा मे बैठने न दिया ।।
- जीतेन्द्र मीना , गुरदह
( सीकर के श्री कल्याण कॉलेज में छात्राओं को रीट परीक्षा के लिये घुसने नही दिया गया , कविता इसी घटना पर आधारित है )
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments