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सच कहूं !! बहुत तुम याद आए ।
ऊंची ऊंची मीनारों पे उड़ते जो तिरंगे को देखा
मन में कुछ भाव उभर आए ।।
मां बाबा मुझे बताते थे, वो बड़ा सिपाही बांका था
उसकी इक इक चालों से गोरे, हरदम रहते घबराए ।।
ऊंचा मस्तक, दरम्याना सा, वो फौजी था टोपी वाला
बादल में बिजली ज्यों कड़के, आंखों में उसके उतर आए ।।
आजाद हिंद की सेना का, नारा वो आजादी वाला
सब भूल गए प्यारे सैनिक, हम भूल नहीं अब तक पाए ।।
सब कहते तुम पैदल चल के, हर गांव की यात्रा करते थे
ऐसे सेनानी कहां गए ? नैनों में अश्रु उतर आए ।।
एक दीप जला हाथों में रख, अंब
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