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प्रयत्न कर प्रयत्न कर।।
हार से हतास न हों,ना कभी उदास हो,
लें लें अपने साथ उसे, जो भी तेरे पास हो,
मंजिलें पुकारती हैं ,तुमको है संवारती,
हार के हिसाब से ही ,सबको है निखारती,
चिढ़ मत तु दृढ़ बन ,लड़ने का वो यत्न कर,
प्रयत्न कर।।
शांत चित्त हो सिख ले, यादों के लिए लिख लें,
मनुष्य की है आदतें, छड़ भर में बात भुलते,
थोड़ा प्रभाव देखते,समाते नहीं फुलते,
इसीलिए समाज में,आदर्श का निरत्न धर,
प्रयत्न कर।।
विशिष्ट से तु शिष्ट बन, समाज में प्रवेश कर,
अभी से अपने कार्य का, स्वरुप विस्तार कर,
बोल नहीं बोलना, न मन की बात खोलना,
अपने उदार चित से, किसी को नहीं तौलना,
समाज में हरेक वर्ग से बने वो यत्न कर।।
"मंजर"
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