
मां तुम्हारे बिना पापा का जन्मदिन हम कैसे मना पाएंगे।मुझे नहीं पता था आधी रात को
पापा के जन्मदिन पे प्रभु नीलू दीदी और मेरी मां का आशिर्वाद आज अपने बेटे सनी से लिखवाएंगे।
पापा करते थे मां आपको कितना प्यार वो सारे किस्से तुम्हारे जाने के बाद हमें सुना रहे।
दास्तान पूरी तो नहीं कुछ कुछ इस पोस्ट के ज़रिए बता रहे।
कई लोग थे उस वक्त मां आपके खिलाफ़।
पापा कहते ना तुम्हारी मां ने मेरा ना कभी मैंने छोड़ा तुम्हारी मां का साथ।
जब हुई थी हमारी शादी।
नहीं पता था हम दोनों को हमारी ज़िन्दगी में इतनी मुसीबतें आनी थी बाकी।
हर मुश्किल घड़ी में एक दूसरे हम दोनों ने पूरा साथ निभाया।
पापा ने आप दोनों के प्यार वाला एक एक किस्सा रोज़ हमें सुनाया।
पापा कहते है
कुछ अपने ही थे जो उस वक्त बेटी होने पे तुम्हारी मां को देते थे ताने।
लेकिन हम दोनों कभी उनके आगे हार ना माने।
मोना दीदी के बाद तरन दीदी का जन्म हुआ।
प्रभु से भाई को पाने के लिये दोनों बहने करती थी दिन रात दुआ।
एक बहन ने तो उस वक्त छोटी उम्र में प्रभु के पास चली जाना।
मां हम कब अपने भाई को राखी बांधेगी कह कर दोनों बहनों ने रोने लग जाना।
पापा बताते है उस वक्त तुम्हारी मां अपनी बेटियों को गले लगा कर कहती थी देखना तुम्हारा भाई बड़ी जल्दी तुम्हारे पास आ जाना।
फिर पापा कहते है जब तुम्हें प्रभु ने तुम्हारी मां की गोद में दिया।
तुम्हारी मां और मैंने प्रभु का पता नहीं कितनी बार शुक्रिया अदा किया।
दोनों बड़ी बहनें खुशी से फूली ना समाई। तू सोच नहीं सकता बेटे सनी कितनी खुश थी तेरी बहनें जब पहली बार उन्होंने अपने भाई की कलाई पे राखी थी सजाई।
सनी बेटे तुम्हारी मां तेरी दिन तुझे अपनी गोद में उठाती थी।
इतनी मुश्किल से तुझे पाया था सनी इसलिए दिन में पता नहीं कितनी बार तुझे अपने सीने से लगाती थी।
फिर उसके बाद बहन डिंपल आई।
अपने साथ अपने छोटे भाई मनी को भी लाई।।
मनी के पैदा होते वक्त मां तबियत हुई थी बड़ी ख़राब।
तब मां आपने डॉक्टर से कहा था मेरी नहीं मेरे बेटे मनी की बचा लो जान।
लेकिन प्रभु आप दोनों को सही सलामत घर लाये।
काश मां एक बार तू वापिस आये।
तेरी याद मां हम सबको रोज़ बड़ी आये।
मां पापा का तुझे अपना दोस्त कहकर बुलाना।
कभी कुछ कभी कुछ मां तेरे लिये खाने को लाना।
पापा कहते है तुम्हारी मां को मैं इतना प्यार करता था रोज़ मैं उसे प्यार भरे गाने भी सुनाता था।
और रोज़ अपने साथ पार्थना में भी उसका ध्यान लगाता था।
जवानी के दिनों में कभी फिल्में दिखाता था।
कभी कही घूमने ले जाता था।
मां आज पापा कहते है
जाने वाले कभी नहीं आते ।
लेकिन
जाने वालों की याद बहुत है आती।
वैसे तो मां ये दुनियां सारे सबक सीखा देती है।
लेकिन मां के बिना कैसे जीना है ये बात नहीं बताती।प्रभु नीलू दीदी और मेरी मां की दुआओं के बिना तो सनी से कोई पोस्ट लिखी नहीं जाती✍️
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments