
जब जब महीने की 22तारीख है आती ।
प्रभु और नीलू दीदी की दी हुई कलम से मां आपके लिये कोई ना कोई पोस्ट त्यार हो जाती ।
कल देर रात को बड़े दिनों बाद मां आपके कमरे में
मैं सोने का मौका मिला ।
लाइट नहीं थी मां सारी रात लेकिन फिर भी मां गर्मी का ज़रा भी एहसास ना हुआ ।
ऐसा लगा मां आपकी गोद में मैंने सर रखा और आपने मेरे माथे को छूहा ।
आपके प्यार का मां मुझे आज भी एहसास हुआ ।
कहने को मां आप हमसे दूर हो ।
आना चाहते हो मां आप भी वापिस लेकिन आप बहुत मजबूर हो ।
गलतियां किस इंसान से नहीं होती ।
उन बच्चों का दुख कोई नहीं समझ सकता जिनके पास पिता नहीं होता या उनके पास उनकी मां नहीं होती ।
आधी से ज्यादा तो रिश्तेदारी आज कल सिर्फ़ मतलब की होती ।
बहुत कम रिश्तेदार ऐसे होते जो हमें दिल से प्यार करते है
और उन्हें सचमुच हमारी फिक्र होती ।
कमरे में मां आपकी तस्वीर लगी है ।
मां आपकी कमी अक्सर हम सबको बड़ी खली है ।
रात के दो बजने को आएं ।
मां ऐसा कोई दिन नहीं जब आपकी याद हम सबको ना आएं ।
डर लगता है मां कई बार वापिस उसी डिप्रेशन में मैं चला ना जाऊं ।
इस बार अगर ऐसा हुआ तो शायद वापिस लौट ना पाऊं ।
अपने भाई बहनों और पापा की आंखों में मां मुझसे आंसू देखा नहीं जाता ।
लेकिन सच ये भी है मां अपने दिल का हाल मुझसे किसी को भी बताया नहीं जाता ।
जो एक बार इस दुनियां से चले जाते है वो वापिस कभी लौट के नहीं आता ।
प्रभु,नीलू दीदी और मेरी मां के आशिर्वाद के बिना तो सनी से कोई पोस्ट तो क्या एक शब्द तक लिखा नहीं जाता✍️
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