
121साल के अपने देश के सपने को सच करके दिखाया।
टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए एथलीट में पहली बार जिन्होंने गोल्ड मेडल जीत के दिखाया।
आज देश के उसी बेटे नीरज चोपड़ा का जन्मदिन आया।
प्रभु,नीलू दीदी और मेरी मां तीनों ने मिलकर देखते है अपने बेटे से सनी से क्या लिखवाया।
बहुत लोगों ने एक वक्त इनका मज़ाक था खूब बनाया।
लोग अक्सर इनसे कहते थे भाला फेंक के आज तक कौन भला गोल्ड मेडल जीत पाया।
लेकिन जब नीरज चोपड़ा ने ये काम सच में करके दिखाया।
तो उन्हीं लोगों ने सबसे पहले पूरी इज़्ज़त के साथ इनके आगे अपना सिर झुकाया।
अपने मां बाप और अपने शहर पानीपत का इन्होंने नाम पूरी दुनियां में चमकाया।
आज बड़ी बड़ी कम्पनियों ने नीरज चोपड़ा को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया।
बचपन में थे ये काफ़ी मोटे।
लेकिन इरादे इन्होंने कभी अपने रखे नहीं थे छोटे।
13साल की उम्र में दौड़ लगाने के लिये स्टेडियम जाना।
क्या किसी ने सोचा होगा नीरज चोपड़ा ने एक दिन देश के युवाओं के लिये मिसाल बन जाना।
गोल्ड मेडल जीतने के बाद जब इनकी पहली इंटरव्यू करी।
बात सबसे पहले इन्होंने हिंदी में ही शुरू करी।
तब चैनल वालों ने इनसे किया सवाल क्या आपको इंग्लिश नही आती।
तब नीरज चोपड़ा ने कहा मुझे तो इंग्लिश आती है लेकिन मेरे सभी गांवों वालों को नहीं आती।
तो उस भाषा में बात करने का क्या फायदा।
हिंदी है अपनी मात्र भाषा हिंदी में बात करने का मज़ा ही कुछ अलग है आता।
इनामों की नीरज चोपड़ा पे लगी झड़ी।
मिसाल बन चुकी है इनकी बहुत बड़ी।।
कैसे शुक्रिया अदा ना करूं प्रभु,नीलू दीदी का जिनकी कलम में ताकत है बहुत बड़ी।
मां आज भी कहती है मेरा बेटा सनी लिखेगा कैसे नहीं उसकी मां आज भी है उसके साथ खड़ी।
मां के जाने से बड़ा कोई गम नहीं होता।
और अगर मां साथ हो तो हर तकलीफ़ छोटी लगती है चाहे हो वो बड़ी से बड़ी।
कैसे भूल जाऊं मां तुझे वो तू ही तो थी जो सबसे पहले हर सुख दुःख में हो जाती थी मेरी साथ हर पल खड़ी✍️
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