
जब भी बड़े बड़े संगीतकारों की बात होगी ।
सुरों के बादशाह एआर रहमान की बात जरूर होगी।
जन्मदिन आज इनका है आया।
कैसे शुक्रिया अदा ना करूं मैं प्रभु,नीलू दीदी और मेरी मां ने मिलकर आज सुबह एक के बाद एक 4कविताओं को है लिखवाया।
हिंदी भाषा के इलावा एआर रहमान ने कई और भाषाओं। में भी अपना संगीत दिया।
सबसे पहले भारतीय है एआर रहमान जिन्होंने गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड हासिल करने का काम किया।
इनका गाना जय हो आज भी दिमाग में चलने लग जाता है।
इनके हर गाने में अलग ही बात होती यूंही नहीं इन्हें दो दो ग्रैमी अवॉर्ड मिल जाते है।
बचपन में इनके पिता ने इनको संगीत सिखा दिया ।
9साल के थे एआर रहमान जब इनके पिता ने इस दुनियां को अलविदा कह दिया ।
घर के हालात इतने खराब हुऐ की इन्होंने इस्लाम धर्म तक कबूल किया ।
बाकी संगीत का ज्ञान एआर रहमान ने मास्टर धनराज से प्राप्त किया।
अपने बचपन के दोस्त शिवमणि के साथ ए आर रहमान ने कीबोर्ड पे म्यूजिक बजाने का काम भी किया।
एआर रहमान की किस्मत और मेहनत ने आज इन्हें सब कुछ दिया।
आज विश्व के महान संगीतकारों में एआर रहमान का नाम है आता।
इनका एक एक गाना करोड़ों में बिक जाता ।
जो भी एआर रहमान गाना बनाते वो सब लोगों को बहुत पसंद आता।
एक एआर रहमान साहब है जो एक से बढ़कर म्यूजिक बनाते ।
प्रभु,नीलू दीदी और मेरी मां का कैसे शुक्रिया अदा ना करूं जो अपने बेटे सनी से रोज़ कुछ ना कुछ नया लिखवाते✍️
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