
Share0 Bookmarks 35 Reads0 Likes
सुना स्वराज भी एक शब्द है.. सोचा देखे ऐसा क्या शाब्दिक अर्थ है..
पाया 'स्वयं का शासन'
अब एक शुन्य हैं विराम हैं चुंकी मैं तो अधिकारित हूं विभाजित हूं और अब व्यतिथ भी..
क्यों इसका संदर्भ पहले किसी ने नहीं बताया था,
क्यों करना अर्पण खुद को, जीवन ने सिर्फ इतना सिखया था..
मैं भी चित की सुनती, खुद को चुनती..
होती परिभाषित और खुद ही खुद को बुनती...
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments