Share0 Bookmarks 49144 Reads0 Likes
होता ये कि अंगुली पकड़,
राह दिखाते,
मार्ग अवरूद्ध को,
सुलझाते,
काटें बीन बीन,
हमें दिखाते,
होता अनुभव कुछ,
हमें भी इस तरह,
चलने का हुनर आता,
चाल-चलन इस दुनिया का,
हमें भी बतलाना आता,
पर नही चुना,
हमको तुमने,
विपरीत इसके ठुकराया,
नाकाबिल का दे तमगा,
उपहास हमारा उड़ाया,
होता न अभिमान,
तुम्हे तुम्हारी शख्सियत पर,
तो शायद कुछ दिखाई देता,
शक्ल नही, हुनर मेरा,
हमने भी देखा,
गौर से आज चेहरा तेरा,
दर्प झलक रहा,
भरपूर,
अभिमानी मुस्कान में,
दर्प बिखरे भरपूर,
कैसी कचोट मन पर तुम्हारे,
परिश्रम का तो फल था हमारे,
दुखी थे तुम मन से,
पर खुश भी तो थे बेमन से,
ऐसा बदलाव,
कैसे सीखा,
कहां से जाना,
पल में ही दुश्मन माना,
हां!मैने भ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments