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कवि ने फिर से लिखी है कोई कविता
कवि ने इस बार उसमें भूख लिखा है
कवि जानता है कि
भूखे पेट काम नहीं होते
लेकिन कविता लिखी जा सकती है
उसने लिख डाला है
महँगे हो गए सिलेंडर के दाम
दिनभर के किये
बिना मज़दूरी के काम
कोटे में न मिलने वाले राशन
चुनावों में दिए नेताओं के भाषण
क्योंकि, कवि कह नहीं सकता
ना ही मांग सकता है
अपने हक में मिलने वाले दाम
थोड़ी ख़ुशी और आराम
कवि जानता है
भूखे पेट आंदोलन नहीं हो सकता
लेकिन कविता लिखी जा सकती है।
- साहिल मिश्रा
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