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अगर नहीं होती बारिश
तो नहीं बुझती धरती की प्यास
शायद नहीं होते बीज अंकुरित
नहीं बनते पौधे कोई पेड़
नहीं पनपता जीवन।
बस स्टैंड के पास
नहीं भींगते प्रेमी जोड़े
नहीं होती कोई संभावना
उनके पास आने की।
न कभी बनते नाव कागज़ के
न कभी बचपना दौड़ता ख़ाली पैर
ना ही बनता कोई इंद्रधनुष क्षितिज पे।
हम नहीं जान पाते-
सूखी लकड़ियों की अहमियत
बाढ़ में बह जाने की त्रासदी
अगर बारिश नहीं होती
बहुत कुछ है जो शायद नहीं होता
बहुत कुछ है जो हमें पता नहीं होता।
साहिल मिश्रा
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