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मैं खुद को बहुत हिफाज़त से रखता हूँ
क्योंकि तुम ये कहो या ना कहो
मैं खुद को तुम्हारी अमानत समझता हूँ
पता नहीं किस रोज़ आजाओ तुम मुझे लेने
ये सोच के मैं घर मे भी सज सवर के रहता हूँ
मैं खुद को बहुत हिफाज़त से रखता हूँ
एक बस्ता बना लिया है कुछ पुराने कपड़ो का
क्योंकि जो तुम्हे याद हो वो अब मुझे आते नहीं
पहले से मैं भी तो थोड़ा बदल गया हूँ
और इसीलि
क्योंकि तुम ये कहो या ना कहो
मैं खुद को तुम्हारी अमानत समझता हूँ
पता नहीं किस रोज़ आजाओ तुम मुझे लेने
ये सोच के मैं घर मे भी सज सवर के रहता हूँ
मैं खुद को बहुत हिफाज़त से रखता हूँ
एक बस्ता बना लिया है कुछ पुराने कपड़ो का
क्योंकि जो तुम्हे याद हो वो अब मुझे आते नहीं
पहले से मैं भी तो थोड़ा बदल गया हूँ
और इसीलि
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