Share0 Bookmarks 249124 Reads0 Likes
शिकवा ना गिला अब किसी
को भी किसी से न रहा यारों
मसरूफ हैं अपनी अपनी
हिफाजत में सब आजकल
पलतें थे कभी जहां नफ़रतों
के शौंले भी इन्सानी दिलोंमें
दिलोदिमाग़ में अब बस गया
हैं कोरोना वाईरस आजकल
प्रभुजी की लीला भी है तो हैं
अपरंपार-ओ-बेमिसाल यारों
तुच्छता-ओ-उच्चता कभी नही
देखता यह कोरोना आजकल
प्रिंस चालसँ हो या पुतिन यह
जंतु नाम-ओ-पद से गाफ़िल
करता वार फेफड़ों के
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments