
Share0 Bookmarks 33 Reads0 Likes
समस्याएँ इतनी ताक़तवर नहीं हो
सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं
ऐसा कभी नहीं हुआ है कि अंधेरों ने
कभी सुबह को ही ना होने दीया हो
चाहे कितनी भी गहरी काली रात हो पर
हर रात के बाद सुबह को तो होना ही हैं
क़ुदरत को निज़ाम जहाँ का चलाना है
समस्याएँ दी है तो हल भी तो दी ही है
अलग बात है कसौटी-ओ-इम्तिहान के
पल्ले-ओ-तराज़ू तोल राहत दी ही है
ग़र इस घड़ी बशर शबर करता है
तो आने वाली हर घड़ी सुकून की ही है
प्रभु तो दे के भी ओर छीन के भी परखेंगे
बंदे को चाहिए कि सदैव प्रसन्न ही रहे।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments