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मैं हूँ सत्य वो है असत्य
एक छोटा सा विवाद ले कर खड़ी हूँ
प्रपंच कपट के कोलाहल में
मैं भीषण अंतर्नाद ले कर खड़ी हूँ
जो तुम सुनना न चाहो किसी शर्त पर
मैं सच्ची वो बात ले कर खड़ी हूँ
अरे देखो मुझको निष्ठुर जन तुम
मैं अंतर्मन में आघात ले कर खड़ी हूँ
नारी हूँ , मैं हूँ माता
मैं धैर्य अपरम्पार ले कर खड़ी हूँ
दुःख में हूँ, मैं कलियुग में हूँ
अपने पीछे भ्रष्ट संसार ले कर खड़ी हूँ
चोला पहने है सफ़ेद जो
उसके काले कृत्य विकराल ले कर खड़ी हूँ
मैं ही दुर्गा , मैं ही शक्ति
उस नीच का मैं काल ले कर खड़ी हूँ
तुम सत्य जान
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