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इंजीनियरिंग पास आउट हो गए । हँसते-हँसते डिग्री के साथ सेल्फी ली। एक के बाद एम् फोटो अपलोड हो रहे थे उस दिन सोशल नेटवर्किंग साइट्स पे एयर साथ में सक्सेसफुल कोट्स। कही लोगो ने इंजीनियर बनने पर बधाई भी दी। मन बड़ा खुश था उन फोटो से और उनपे आये कमैंट्स को देख के। वाह भाई वाह बन गए आखिर....
हॉस्टल लाइफ ख़त्म हो रही थी तो थोड़ा दुःख भी हुआ। पर मोटिवेशनल वीडियोस इतने सारे देख रखे थे जिससे दिल को दिलासा दिया की ज़िन्दगी में अलग-अलग दौर आते है। नया दौर नयी ज़िन्दगी, नए लोग, नया तज़ुर्बा।
घर की ओर रवाना हुए तो मन नहीं किया कि अलविदा कह दू इन सब प्यारे कमीने दोस्तों को। सब के चेहरे लटके हुए थे। एक के बाद एक अपनी-अपनी ट्रैन पकड़ रहे थे। मैं भी अपने घर की ओर रुख कर चला
घर जाने के 2-3 दिन बाद सब व्हात्सप्प ग्रुप में मैसेज करने लगे। "फिर मिलेंगे, रीयूनियन करेगे, एक डेट फिक्स करेगे तब सब लोग लीव के लिए एप्लीकेशन दे देना ताकि सबको टाइम पे लिव मिल जाये"
"है भाई पक्का" सबका एक ही जवाब।
किसी ने ये नहीं सोचा की लीव एप्लीकेशन के लिए जॉब तो...।
खैर मोटिवेशनल वीडियोस का असर था कि अब तो बस जॉब ही तो लेनी है, जैसे सब्जी मार्किट से एक किलो भिन्डी लेनी हो।
भिन्डी बड़ी पसंद थी मुझे इसलिए हर दूसरे तीसरे दिन मम्मी को बोल भिन्डी बनवाता था। हेल्थ काफी अच्छी हो रही थी। स्किन टोन भी बदल रहा था। रोज प्रॉपर नहाना, रोज धुले हुए कपडे, टाइम पे खाना, इन सबसे चेहरा ग्लो कर रहा था।सोचा यही सही टाइम है सेल्फी लेने का फिर जॉब ज्वाइन करुगा तो वापस शायद स्किन टोन ऒर हेल्थ चेंज ना हो जाये।
गूगल किया "टॉप एंड्राइड अप्प फ़ॉर बेस्ट फोटो व्हिच मेक मी जॉनी डेप"। 2-3 डाउनलोड की ओर टेस्टिंग चालू की अप्प्स की। फोटो पे फोटो क्लिक हो रही थी। रेड कलर का शर्ट ब्लैक दिख रहा था ऐसा एडिट मारा।
चलो फोटो का तो स्टॉक हो गया। थोड़ी देर में सबसे अच्छी फोटो Fb, insta, whatsapp dp पे दिखने लगी साथ में एक लाइन थी "Aim, Motivated, Think".
दिन गुज़रते गए, कह लीजिये अच्छे दिन।
ज़िन्दगी में दौर बदलते रहते है और फिर से एक नया दौर आ रहा था। 9-6 वाली जॉब पाने का दौर।
नौकरी से लेके मॉन्स्टर तक सब पे रिज्यूमे चिपका दिया। 1 gb डाटा मेसे 100 mb डाटा सिर्फ इन साइट्स के लिए रिज़र्व रखा। बाकि सब दोस्तों से बात करना, कॉलेज की लड़कियां जिनको देख के हमेशा स्माइल आती थी उनको रिक्वेस्ट भेजना, और एक्सेप्ट कर ले तो hiii hello से व्हात्सप्प कांटेक्ट लिस्ट तक लाना। ये सब बड़े मज़े से हो रहा था। मानो इसी लिए इंजीनियरिंग किये थे। इंग्लिश लिखना जान गए थे अच्छे से। बस दो चार ऐसी लाइन बोलते थे की सामने वाला मदहोश।
इंटरव्यू का दौर शुरू हुआ। इतना सजधज के गया जैसे वहाँ का दामाद बनने जा रहा हूँ। तयार हो के फिर सेल्फी ओर कुछ मोटिवेशन वाली लाइन्स विथ "इट्स मी विथ माय इंटरव्यू टाइम"। वेन्यू पे पहुँचता उससे पहले कमैंट्स की लाइन। सबको पर्सनली थैंक्स बोला।
इंटरव्यू में बैठे। जिस स्पीड से गया उसी से बहार आया। तो अब समझ जाओ।
कोई ना जो फ़ैल ही नहीं हुआ उसको सक्सेस का टेस्ट क्या पता। फिर से पॉजिटिव। कुछ दिन ऐसा ही चला। फिर एक दिन दौर वापस बदला। इस बार सिद्दत से इंटरव्यू दिया और ऐसा दिया की 2 दिन बाद से जोइनिंग।
सोशल मीडिया पे "वर्किंग अतः xyz pvt ltd" फीलिंग एक्ससिटेड विथ नर्वस विथ जोयफूल, ग्रेटफुल,अलोन,लोनली,लव्ड,सिंगल,कॉम्प्लिकेटेड...सब फीलिंग्स आ गयी।
जोइनिंग डेट आयी, ज्वाइन किया फिर एक यूट्यूब देख लिया। 1gb डाटा मेसे 748 mb डाटा यूट्यूब ले गया उस दिन। उस 748 mb डाटा ने फिर से चौराहे पे लाके खड़ा कर दिया।
इंट्रेप्रेनेर्स की स्पीच देख ली और बस मन किया कि अब तो TVF Pitchers 2 में मैं ही आऊँगा। मैं बियर हूँ...
"Resign - Job"
फेज चेंज हो गया। वक़्त निकलता गया।
मन में दुःख होने लगा। वो मौज़ मस्ती वाली फीलिंग्स खोने लगी। गर्मियों में पेड़ कैसे सूख जाता है वैसे ही मेरे अंदर से वो मासूमियत, वो चिल,लोविंग,केयरिंग ये सब फीलिंग्स को जैसे सूरज उस ग्लूकॉन-डी एड की तरह शोख रहा था। मै एमोशनलेस्स हो गया। करियर एक भारी शब्द बन गया। कोर के सपने बीपीओ में समा गए।
इस देश में अगर किसी ने इंजीनियर को ज़िंदा रखा है तो वो BPOs है। वरना हर साल लाखों लड़के 3 Idiots के जॉय लोबो या राजू रस्तोगी बन जाते और शायद बच नहीं पाते।
परेशानियों की घडी आ गयी। खुद की एक्सपेक्टशन्स ही सबसे ज्यादा हर्ट करने लगी।
सोशल नेटवर्किंग, फ्रेंड्स, सेल्फीज़, मूवी, इवन खाना भी पीछे रह गया। पुरे दिन दिल पे एक बोझ को लेके घूमते रहे।
लोग बातें करने लगे। आदमी अपने हालात से हताश कम और लोगो की बातों से ज्यादा होता है।
"अभी तक नहीं लगा, क्या मतलब इतने पढ़ने का, कही पे भी ज्वाइन कर लेना, इतनी सारी कम्पनीज है, कपड़ो की दूकान में सेल्स मैन बन जा, कुछ तो कमायेगा, यार कही से तो स्टार्ट कर" कैसे कैसे सुग्गेसशन्स और क़ुएसशन्स। उनको लगता होगा शायद मुझे घर बैठ के टीवी देखने में मज़ा आता है। मैं कितना टूट रहा था वो सिर्फ मुझे ही...। explanation का कोई मतलब नहीं था।
धीरे-धीरे मेरी इस एक असफलता पे मेरे अंदर ही एक सवाल खड़ा करवा लिया उन लोगो ने, जो कभी मेरे हर एक सुक्सीस्फुल रिजल्ट के बाद बेस्ट विशेष देते थे, और वो सवाल कुछ और नहीं बल्कि एक शक था मेरी काबिलियत पर।
दिल बिना शोर किये फुट-फुट के रोया। आंसू दिखे नहीं पर अंदर जलते शोले की तरह गए।
एक साल में इतना बदल गया मैं। हालात इतने बदल गए। क्या में काबिल.....??
फिर से यूट्यूब खोला और आज तो पूरा 1gb इसी पे देना था।
हॉस्टल लाइफ ख़त्म हो रही थी तो थोड़ा दुःख भी हुआ। पर मोटिवेशनल वीडियोस इतने सारे देख रखे थे जिससे दिल को दिलासा दिया की ज़िन्दगी में अलग-अलग दौर आते है। नया दौर नयी ज़िन्दगी, नए लोग, नया तज़ुर्बा।
घर की ओर रवाना हुए तो मन नहीं किया कि अलविदा कह दू इन सब प्यारे कमीने दोस्तों को। सब के चेहरे लटके हुए थे। एक के बाद एक अपनी-अपनी ट्रैन पकड़ रहे थे। मैं भी अपने घर की ओर रुख कर चला
घर जाने के 2-3 दिन बाद सब व्हात्सप्प ग्रुप में मैसेज करने लगे। "फिर मिलेंगे, रीयूनियन करेगे, एक डेट फिक्स करेगे तब सब लोग लीव के लिए एप्लीकेशन दे देना ताकि सबको टाइम पे लिव मिल जाये"
"है भाई पक्का" सबका एक ही जवाब।
किसी ने ये नहीं सोचा की लीव एप्लीकेशन के लिए जॉब तो...।
खैर मोटिवेशनल वीडियोस का असर था कि अब तो बस जॉब ही तो लेनी है, जैसे सब्जी मार्किट से एक किलो भिन्डी लेनी हो।
भिन्डी बड़ी पसंद थी मुझे इसलिए हर दूसरे तीसरे दिन मम्मी को बोल भिन्डी बनवाता था। हेल्थ काफी अच्छी हो रही थी। स्किन टोन भी बदल रहा था। रोज प्रॉपर नहाना, रोज धुले हुए कपडे, टाइम पे खाना, इन सबसे चेहरा ग्लो कर रहा था।सोचा यही सही टाइम है सेल्फी लेने का फिर जॉब ज्वाइन करुगा तो वापस शायद स्किन टोन ऒर हेल्थ चेंज ना हो जाये।
गूगल किया "टॉप एंड्राइड अप्प फ़ॉर बेस्ट फोटो व्हिच मेक मी जॉनी डेप"। 2-3 डाउनलोड की ओर टेस्टिंग चालू की अप्प्स की। फोटो पे फोटो क्लिक हो रही थी। रेड कलर का शर्ट ब्लैक दिख रहा था ऐसा एडिट मारा।
चलो फोटो का तो स्टॉक हो गया। थोड़ी देर में सबसे अच्छी फोटो Fb, insta, whatsapp dp पे दिखने लगी साथ में एक लाइन थी "Aim, Motivated, Think".
दिन गुज़रते गए, कह लीजिये अच्छे दिन।
ज़िन्दगी में दौर बदलते रहते है और फिर से एक नया दौर आ रहा था। 9-6 वाली जॉब पाने का दौर।
नौकरी से लेके मॉन्स्टर तक सब पे रिज्यूमे चिपका दिया। 1 gb डाटा मेसे 100 mb डाटा सिर्फ इन साइट्स के लिए रिज़र्व रखा। बाकि सब दोस्तों से बात करना, कॉलेज की लड़कियां जिनको देख के हमेशा स्माइल आती थी उनको रिक्वेस्ट भेजना, और एक्सेप्ट कर ले तो hiii hello से व्हात्सप्प कांटेक्ट लिस्ट तक लाना। ये सब बड़े मज़े से हो रहा था। मानो इसी लिए इंजीनियरिंग किये थे। इंग्लिश लिखना जान गए थे अच्छे से। बस दो चार ऐसी लाइन बोलते थे की सामने वाला मदहोश।
इंटरव्यू का दौर शुरू हुआ। इतना सजधज के गया जैसे वहाँ का दामाद बनने जा रहा हूँ। तयार हो के फिर सेल्फी ओर कुछ मोटिवेशन वाली लाइन्स विथ "इट्स मी विथ माय इंटरव्यू टाइम"। वेन्यू पे पहुँचता उससे पहले कमैंट्स की लाइन। सबको पर्सनली थैंक्स बोला।
इंटरव्यू में बैठे। जिस स्पीड से गया उसी से बहार आया। तो अब समझ जाओ।
कोई ना जो फ़ैल ही नहीं हुआ उसको सक्सेस का टेस्ट क्या पता। फिर से पॉजिटिव। कुछ दिन ऐसा ही चला। फिर एक दिन दौर वापस बदला। इस बार सिद्दत से इंटरव्यू दिया और ऐसा दिया की 2 दिन बाद से जोइनिंग।
सोशल मीडिया पे "वर्किंग अतः xyz pvt ltd" फीलिंग एक्ससिटेड विथ नर्वस विथ जोयफूल, ग्रेटफुल,अलोन,लोनली,लव्ड,सिंगल,कॉम्प्लिकेटेड...सब फीलिंग्स आ गयी।
जोइनिंग डेट आयी, ज्वाइन किया फिर एक यूट्यूब देख लिया। 1gb डाटा मेसे 748 mb डाटा यूट्यूब ले गया उस दिन। उस 748 mb डाटा ने फिर से चौराहे पे लाके खड़ा कर दिया।
इंट्रेप्रेनेर्स की स्पीच देख ली और बस मन किया कि अब तो TVF Pitchers 2 में मैं ही आऊँगा। मैं बियर हूँ...
"Resign - Job"
फेज चेंज हो गया। वक़्त निकलता गया।
मन में दुःख होने लगा। वो मौज़ मस्ती वाली फीलिंग्स खोने लगी। गर्मियों में पेड़ कैसे सूख जाता है वैसे ही मेरे अंदर से वो मासूमियत, वो चिल,लोविंग,केयरिंग ये सब फीलिंग्स को जैसे सूरज उस ग्लूकॉन-डी एड की तरह शोख रहा था। मै एमोशनलेस्स हो गया। करियर एक भारी शब्द बन गया। कोर के सपने बीपीओ में समा गए।
इस देश में अगर किसी ने इंजीनियर को ज़िंदा रखा है तो वो BPOs है। वरना हर साल लाखों लड़के 3 Idiots के जॉय लोबो या राजू रस्तोगी बन जाते और शायद बच नहीं पाते।
परेशानियों की घडी आ गयी। खुद की एक्सपेक्टशन्स ही सबसे ज्यादा हर्ट करने लगी।
सोशल नेटवर्किंग, फ्रेंड्स, सेल्फीज़, मूवी, इवन खाना भी पीछे रह गया। पुरे दिन दिल पे एक बोझ को लेके घूमते रहे।
लोग बातें करने लगे। आदमी अपने हालात से हताश कम और लोगो की बातों से ज्यादा होता है।
"अभी तक नहीं लगा, क्या मतलब इतने पढ़ने का, कही पे भी ज्वाइन कर लेना, इतनी सारी कम्पनीज है, कपड़ो की दूकान में सेल्स मैन बन जा, कुछ तो कमायेगा, यार कही से तो स्टार्ट कर" कैसे कैसे सुग्गेसशन्स और क़ुएसशन्स। उनको लगता होगा शायद मुझे घर बैठ के टीवी देखने में मज़ा आता है। मैं कितना टूट रहा था वो सिर्फ मुझे ही...। explanation का कोई मतलब नहीं था।
धीरे-धीरे मेरी इस एक असफलता पे मेरे अंदर ही एक सवाल खड़ा करवा लिया उन लोगो ने, जो कभी मेरे हर एक सुक्सीस्फुल रिजल्ट के बाद बेस्ट विशेष देते थे, और वो सवाल कुछ और नहीं बल्कि एक शक था मेरी काबिलियत पर।
दिल बिना शोर किये फुट-फुट के रोया। आंसू दिखे नहीं पर अंदर जलते शोले की तरह गए।
एक साल में इतना बदल गया मैं। हालात इतने बदल गए। क्या में काबिल.....??
फिर से यूट्यूब खोला और आज तो पूरा 1gb इसी पे देना था।
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