Share0 Bookmarks 217356 Reads2 Likes
हम दोनों
हम दोनों नदिया के तीरे,
मध्य हमारे अविरल धारा।
अलग अलग अपनी दुनिया पर,
अनाद्यनंत रहे साथ हमारा।
अलग अलग अपनी राहें हैं,
अपनी अपनी जिम्मेदारी।
अपनी खुशियां, अपने दुःख हैं,
फिर भी अपनी साझेदारी।
मेरे तट पर जब मावस का,
घना अँधेरा छा जाता है।
तेरे तट का पूनम चन्दा,
मेरा मन भी बहलाता है।
तेरे तट पर जब आंधी में,
पुष्प लताएं सिहराती हैं।
मेरे तट के वट वृक्षों की,
शाख उधर ही बढ़ जाती हैं।
ग्रीष्म ऋतू में तप्त हवायें,
जब मेरे तट को झुलसाती हैं।
तेरे तट से मंद बयारें,
मरहम बन कर आ जाती हैं।
तेरे तट पर जब सर्दी में,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments