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निराकार-साकार शिव, शिव में नहीं विकार।
सृष्टि और संहार शिव, शिव ही पालनहार।।
बाघ छाल का वस्त्र है, ग्रीवा में मुंडमाल।
बसे हलाहल कंठ में, सोम सुशोभित भाल।।
डमरू शिव के हाथ में, बहे शीश से गंग।
अंगराग शव भस्म है, लिपटा गले भुजंग।।
बाम भाग में
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