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नव संवत्, नव चेतना, नूतन नवल उमंग।
साल पुराना ले गया, हर दुख अपने संग।।
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, वासन्तिक नवरात।
संवत्सर आया नया, बदलेंगे हालात।।
जीवन में उत्कर्ष हो, जन-जन में हो हर्ष।
शुभ मंगल सबका करे, भारतीय नव वर्ष।।
शुरू हुआ था सृष्टि का, इस दिन ही निर्माण।
वीर- विक्रमादित्य का, गूँजा था
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