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याद बहुत तुम्हें आयेंगे हम पहला प्यार जैसे
कसक दिल में रह जायेगी मिलन की टूटा कल्ब जैसे
किसी मेहफिल में होगा जिक्र तुम्हारा ही कभी
मन ही मन मुस्कुरायेंगे नौशाद दिल हो जैसे
फरियाद करते रहे हम अल्लाह से उनकी
इबादत बन गई वो हमारे मंदिर की मूरत जैसे
ये ज़िंदगी हमारी उलझ कर रह गई पहेली
हम सुलझा कर भी न बन पाए उनकी सादगी जैसे
हर किसी शख्स की है आजकल ये कहानी
इश्क़ न हुआ हो मुकम्मल ख़्वाब टूटा हो जैसे।
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