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जाने किस वेग से चलती है, यह हर रोज बदलती है।
धुंधली हो चली हैं अब बचपन की चंचल स्मृतियां,
पर बच्चे सी शरारतें दिल में आज भी मचलती हैं,
जाने किस वेग से चलती है, यह हर रोज बदलती है।
यौवन का वो दौर, कुछ करने का जुनून, आगे बढ़ने की होङ,
उस लड़की के इंतजार की बातें, कल परसों की लगती हैं,
जाने किस वेग से चलती है, यह हर रोज बदलत
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