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यादें
खुशनुमा सफ़र था,
खट्टी मिट्ठी बाते थी,
पहाडिय़ो के बीच बीती
वो यादें आज भी ताज़ा थी।
खुला आसमान था,
बर्फ बिछी जैसे रुई की चादर थी,
कई अनकही तकरारों की
वो यादें आज भी ताज़ा थी।
दोस्तों का साथ था,
मेहफिल जमी सारी रात थी,
मनाली में गुज़ारे उन दिनों की
वो यादें आज भी ताज़ा थी।
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