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इश्क़ किया तो ये फर्ज़ भी निभायेंगे
तुम मेरी न सही हम तो तेरे कहलाएंगे
मैं बखूबी वाक़िफ हूं आगे के मंजर से
तुझे याद करेंगे और बहुत पछतायेंगे
हम अपनी मोहब्बत कुछ यूं अंजाम देंगे
तुम से अपनी कमीज़ पर बटन टकवाएंगे
तुम किसी से तो वफ़ा निभाकर दिखाओ
हम अपने हाथों से तेरी डोली सजाएंगे
मुझ से ऊब कर गई हो तुम जिसके पास
वो सबसे पहले तेरे कपड़े उतरवाएंगे
जिस तरह तूने मुझे हल्के में आंका है जाना
एक रोज तेरे बच्चे मेरे ही शेर सुनाएंगे
– हर्ष सक्सेना
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