"तू तस्वीर है इस जहांँ के सबब की " (कविता)'s image
Poetry2 min read

"तू तस्वीर है इस जहांँ के सबब की " (कविता)

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश March 24, 2022
Share0 Bookmarks 51902 Reads1 Likes
मेरी लेखनी, मेरी कविता
"तू तस्वीर है इस जहांँ के सबब की" (कविता)  प्रकृति विशेषांक 

तू तस्वीर है
इस  जहांँ के सबब की।
 मैं तेरी इबारत पै
 इतरा रहा हूंँ।

तूू गुमनाम ऐसी
कहानी है मेरी। 
मैं आंँचल में तेरे
 छुपा जा रहा हूंँ।
 मैं तेरी इबारत पै
इतरा रहा हूंँ ।

अजब दास्तांँ है
 ये तेरी मेरी।
 तू जीवन की सांँसो की
अनमिट पहेली। 

  देती तू सबको
 लेती न कुछ भी ।
जीवन की बगिया
सजाती ही रहती। 
फिजाओं पै तेरी
 मैं मन ला रहा हूँ।
 मैं तेरी इबारत पै
 इतरा रहा हूंँ  ।

येे अल्हड़ सी बेेेेलें

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts