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मेरी लेखनी, मेरी कविता
"तू तस्वीर है इस जहांँ के सबब की" (कविता) प्रकृति विशेषांक
तू तस्वीर है
इस जहांँ के सबब की।
मैं तेरी इबारत पै
इतरा रहा हूंँ।
तूू गुमनाम ऐसी
कहानी है मेरी।
मैं आंँचल में तेरे
छुपा जा रहा हूंँ।
मैं तेरी इबारत पै
इतरा रहा हूंँ ।
अजब दास्तांँ है
ये तेरी मेरी।
तू जीवन की सांँसो की
अनमिट पहेली।
देती तू सबको
लेती न कुछ भी ।
जीवन की बगिया
सजाती ही रहती।
फिजाओं पै तेरी
मैं मन ला रहा हूँ।
मैं तेरी इबारत पै
इतरा रहा हूंँ ।
येे अल्हड़ सी बेेेेलें
"तू तस्वीर है इस जहांँ के सबब की" (कविता) प्रकृति विशेषांक
तू तस्वीर है
इस जहांँ के सबब की।
मैं तेरी इबारत पै
इतरा रहा हूंँ।
तूू गुमनाम ऐसी
कहानी है मेरी।
मैं आंँचल में तेरे
छुपा जा रहा हूंँ।
मैं तेरी इबारत पै
इतरा रहा हूंँ ।
अजब दास्तांँ है
ये तेरी मेरी।
तू जीवन की सांँसो की
अनमिट पहेली।
देती तू सबको
लेती न कुछ भी ।
जीवन की बगिया
सजाती ही रहती।
फिजाओं पै तेरी
मैं मन ला रहा हूँ।
मैं तेरी इबारत पै
इतरा रहा हूंँ ।
येे अल्हड़ सी बेेेेलें
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