थोड़ा सा थका हूंँ मगर रुका नहीं हूंँ।'s image
Poetry1 min read

थोड़ा सा थका हूंँ मगर रुका नहीं हूंँ।

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश October 16, 2023
Share0 Bookmarks 49288 Reads1 Likes
मेरी लेखनी मेरी कविता
 थोड़ा सा थका हूंँ मगर रुका नहीं हूंँ
(कविता)

थोड़ा सा थका हूंँ
 मगर रुका नहीं हूंँ।

जिंदगी की हालातों के आगे
झुका नहीं हूंँ 
कांच के रिश्ते लिए फिर रहा हूंँ
 पत्थरों के शहर में
 ठोकरें बहुत खाईं
 मगर झुका नहीं हूंँ।

तेरी यादों को
 दिल से

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts