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मेरी लेखनी मेरी कविता
सिर्फ एक कहानी हूंँ मैं
(कविता)
रख सको तो एक निशानी हूंँ मैं
खो दो तो सिर्फ कहानी हूंँ मैं।
रोक न पाए जिससे सारी दुनियाँ
वह एक बूंँद आंँखों का पानी हूंँ मैं।।
सबको प्यार देने की आदत हमें
अलग पहचान बनाने की आदत हमें
कितना भी गहरा जख्म दे कोई
उतना ही ज्यादा मुस्कुराने की आदत हमेंं।
इस अजनबी दुनियाँ में अकेला ख्वाब हूंँ मैं
सवालों से खफा छोटा सा जवाब हूंँ मैं ।
जो समझ ना सके मुझे उनके लिए कुछ नहीं
जो समझ सके उनके लिए खुली किताब हूंँ मैं।
आंँखों से देखोगे तो खुश पाओगे
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूंँ मैं
अगर रख सको तो एक निशानी हूंँ मैं
अगर खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूंँ मैं ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
सिर्फ एक कहानी हूंँ मैं
(कविता)
रख सको तो एक निशानी हूंँ मैं
खो दो तो सिर्फ कहानी हूंँ मैं।
रोक न पाए जिससे सारी दुनियाँ
वह एक बूंँद आंँखों का पानी हूंँ मैं।।
सबको प्यार देने की आदत हमें
अलग पहचान बनाने की आदत हमें
कितना भी गहरा जख्म दे कोई
उतना ही ज्यादा मुस्कुराने की आदत हमेंं।
इस अजनबी दुनियाँ में अकेला ख्वाब हूंँ मैं
सवालों से खफा छोटा सा जवाब हूंँ मैं ।
जो समझ ना सके मुझे उनके लिए कुछ नहीं
जो समझ सके उनके लिए खुली किताब हूंँ मैं।
आंँखों से देखोगे तो खुश पाओगे
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूंँ मैं
अगर रख सको तो एक निशानी हूंँ मैं
अगर खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूंँ मैं ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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