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मेरी लेखनी, मेरी कविता
"प्रेम के अक्षर न बदलना"
(कविता) दोस्तों के नाम एक पैगाम
कुछ भी तो नहीं इनके बराबर; न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
हालात में बदलाव बड़ी बात नहीं है,
है बात बड़ी ,आप के तेवर न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना।।
फितरत भी बदल जाती है, बदले जो मुकद्दर,
ऐसा है तो अच्छा है, मुकद्दर न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
अनजाने वक्त के
"प्रेम के अक्षर न बदलना"
(कविता) दोस्तों के नाम एक पैगाम
कुछ भी तो नहीं इनके बराबर; न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
हालात में बदलाव बड़ी बात नहीं है,
है बात बड़ी ,आप के तेवर न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना।।
फितरत भी बदल जाती है, बदले जो मुकद्दर,
ऐसा है तो अच्छा है, मुकद्दर न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
अनजाने वक्त के
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