
Share2 Bookmarks 636 Reads3 Likes
मेरी लेखनी, मेरी कविता
"प्रेम के अक्षर न बदलना"
(कविता) दोस्तों के नाम एक पैगाम
कुछ भी तो नहीं इनके बराबर; न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
हालात में बदलाव बड़ी बात नहीं है,
है बात बड़ी ,आप के तेवर न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना।।
फितरत भी बदल जाती है, बदले जो मुकद्दर,
ऐसा है तो अच्छा है, मुकद्दर न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
अनजाने वक्त के आंँसू हजार हैं, खुशहाल जिंदगी के लम्हे न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
जरूरत के वक्त पर तुम काम सब के आओ, सद्भाव जिंदगी के , हरगिज़ न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।
करना न किनारा ,आए जो मुसीबत ,इस दोस्ती के फलसफे को हरगिज न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
न कह सके किसी से ,वह तुमको बताते, येे यकीन जिंदगी का बिल्कुल न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
"प्रेम के अक्षर न बदलना"
(कविता) दोस्तों के नाम एक पैगाम
कुछ भी तो नहीं इनके बराबर; न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
हालात में बदलाव बड़ी बात नहीं है,
है बात बड़ी ,आप के तेवर न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना।।
फितरत भी बदल जाती है, बदले जो मुकद्दर,
ऐसा है तो अच्छा है, मुकद्दर न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
अनजाने वक्त के आंँसू हजार हैं, खुशहाल जिंदगी के लम्हे न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
जरूरत के वक्त पर तुम काम सब के आओ, सद्भाव जिंदगी के , हरगिज़ न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।
करना न किनारा ,आए जो मुसीबत ,इस दोस्ती के फलसफे को हरगिज न बदलना।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
न कह सके किसी से ,वह तुमको बताते, येे यकीन जिंदगी का बिल्कुल न बदलना ।
ढाई ही सही प्रेम के अक्षर न बदलना ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments