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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
प्राणी एक अनोखा पाया
(कविता)
प्राणी एक अनोखा पाया।
सोच प्रबल आंँखों में सपने
भौतिक सुख पर
यह बौराया
प्राणी एक अनोखा पाया।।
लालच मन संग्रह करने का
बड़ी लालसा भारी।
नित नित नूतन काज करे
जस सबरस की बीमारी।।
तरह-तरह के जतन करे
झोली में भरने को माया।
प्राणी एक अनोखा पाया ।।
आकंठ प्रेम की चाहत है।
प्राणी एक अनोखा पाया
(कविता)
प्राणी एक अनोखा पाया।
सोच प्रबल आंँखों में सपने
भौतिक सुख पर
यह बौराया
प्राणी एक अनोखा पाया।।
लालच मन संग्रह करने का
बड़ी लालसा भारी।
नित नित नूतन काज करे
जस सबरस की बीमारी।।
तरह-तरह के जतन करे
झोली में भरने को माया।
प्राणी एक अनोखा पाया ।।
आकंठ प्रेम की चाहत है।
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