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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
महिमा- मेरे देश की
मेरा देश है ,बड़ा निराला
तरह-तरह के, रंगों वाला
गँगा गोरी ,यमुना काली शाम सुनहरी ,सुबह उजाली ।
तरह-तरह के मौसम आते ,साथ में ढेरों खुशियां लाते ।
कभी है, होली, कभी दिवाली ,कभी तीज है, झूलों वाली ।
तरह- तरह की, भाषा बोली ,पर हम सब हैं हमजोली
सारी खुशियाँ साथ मनाते ।
बैैर नहीं हम ,मन में लाते
मिलकर रहो द्वेष
ना पालो
दुनिया को हम यह सिखलाते ।
हरिशंकर सिंह सारांश
महिमा- मेरे देश की
मेरा देश है ,बड़ा निराला
तरह-तरह के, रंगों वाला
गँगा गोरी ,यमुना काली शाम सुनहरी ,सुबह उजाली ।
तरह-तरह के मौसम आते ,साथ में ढेरों खुशियां लाते ।
कभी है, होली, कभी दिवाली ,कभी तीज है, झूलों वाली ।
तरह- तरह की, भाषा बोली ,पर हम सब हैं हमजोली
सारी खुशियाँ साथ मनाते ।
बैैर नहीं हम ,मन में लाते
मिलकर रहो द्वेष
ना पालो
दुनिया को हम यह सिखलाते ।
हरिशंकर सिंह सारांश
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