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किसी के दर पै यूँ जाना (छंद )

हरिशंकर सिंह 'सारांश 'हरिशंकर सिंह 'सारांश ' February 23, 2023
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मेरी लेखनी मेरी कविता 
किसी के दर पै यूंँ जाना 
(छंद )

किसी के दर पै यूं जाना
 हमें अच्छा नहीं लगता ।
जहांँ हर शख्स काबिल हो
 मगर सच्चा नहीं लगता ।

बेगानों की शराफत के
कसीदे पढ़ नहीं सकता ।
मगर अपनों की तहरीरें
बयाँ मैं कर नहीं सकता ।।

हरिशंकर सिंह सारांश 

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