Share0 Bookmarks 51948 Reads1 Likes
मेरी लेखनी, मेरी करता
जीवन का किस्सा है कितना अजीब
(कविता)
जीवन का किस्सा है
कितना अजीब।
कभी खिलखिलाता है
रुठा नसीब।।
जीवन का किस्सा है
कितना अजीब।।
कभी आस लाता
जमाने के दर पर
कभी दूर हमको
दिखाता सलीब ।
जीवन का किस्सा है
कितना अजीब ।।
कभी अपनेपन की
कहानी सुनाता।
कभी भूले भटकों को <
जीवन का किस्सा है कितना अजीब
(कविता)
जीवन का किस्सा है
कितना अजीब।
कभी खिलखिलाता है
रुठा नसीब।।
जीवन का किस्सा है
कितना अजीब।।
कभी आस लाता
जमाने के दर पर
कभी दूर हमको
दिखाता सलीब ।
जीवन का किस्सा है
कितना अजीब ।।
कभी अपनेपन की
कहानी सुनाता।
कभी भूले भटकों को <
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments