Peace PoetryPoetry1 min read
जन्नत हमारी देखो पैगाम दे रही है । (कविता)पैगामे कश्मीर
February 7, 2022Share1 Bookmarks 27035 Reads1 Likes
जन्नत हमारी देखो, पैगाम दे रही है ।
(कविता) पैगामेे कश्मीर
जन्नत हमारी देखो
पैगाम दे रही है
छँट रहा है कोहरा,
बादल भी छँट रहे हैं।
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(कविता) पैगामेे कश्मीर
जन्नत हमारी देखो
पैगाम दे रही है
छँट रहा है कोहरा,
बादल भी छँट रहे हैं।
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