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मेरी लेखनी मेरी कविता
भारत मांँ का सम्मान करो
देशभक्ति विशेषांक (कविता)
भारत मांँ का सम्मान करो
जो जीवन का सुख देती है।
पालन पोषण भी करती है ।
बदले में कुछ ना लेती है ।।
अपने सच्चे कर्मों से तुम
इस का सपना साकार करो।
भारत मांँ का सम्मान करो ।।
अपनों का जीवन रचती है ।
कण कण मानवता बसती है।।
जीवट के अमिट शौर्य का तुम
पल पल में गुणगान करो।
भारत मांँ का सम्मान करो।।
जो सबको साथ पिरोती है।
जो जीवन धवल बनाती है ।।
अपने आंँचल को फैलाकर
मानव को श्रेष्ठ बनाती है।
इस ज्ञान पुंँज माता का तुम
सच्चे मन से सत्कार करो।
भारत मांँ का सम्मान करो।।
जो परंँपरा सिखलाती है
जो सच का ज्ञान कराती है।
कैसे जीना है जीवन को
हर मानव को सिखलाती है।
भारत की ज्ञान प्रतिष्ठा का
तुम चारों दिश संंचार करो ।
भारत मांँ का सम्मान करो।।
हरिशंकर सिंह सारांश
भारत मांँ का सम्मान करो
देशभक्ति विशेषांक (कविता)
भारत मांँ का सम्मान करो
जो जीवन का सुख देती है।
पालन पोषण भी करती है ।
बदले में कुछ ना लेती है ।।
अपने सच्चे कर्मों से तुम
इस का सपना साकार करो।
भारत मांँ का सम्मान करो ।।
अपनों का जीवन रचती है ।
कण कण मानवता बसती है।।
जीवट के अमिट शौर्य का तुम
पल पल में गुणगान करो।
भारत मांँ का सम्मान करो।।
जो सबको साथ पिरोती है।
जो जीवन धवल बनाती है ।।
अपने आंँचल को फैलाकर
मानव को श्रेष्ठ बनाती है।
इस ज्ञान पुंँज माता का तुम
सच्चे मन से सत्कार करो।
भारत मांँ का सम्मान करो।।
जो परंँपरा सिखलाती है
जो सच का ज्ञान कराती है।
कैसे जीना है जीवन को
हर मानव को सिखलाती है।
भारत की ज्ञान प्रतिष्ठा का
तुम चारों दिश संंचार करो ।
भारत मांँ का सम्मान करो।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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