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मेरी लेखनी, मेरी कविता
बसंत की मीठी खुशबू (कविता )
बसंती रंग कलियों का
बिखर कर नूर होता है
अभागा है वो दुनियाँ में
जो इससे दूर होता है।
वो पीली सरसों के फूल ,
वह लहराते खेत ,
हमारे मन को लुभाते हैं ।
देखकर यह छठा प्यारी
भ्रमर भी डोल जाते हैं ।।
सुहानी शाम खुशबू की
हमें कितना सुहाती है।
शरबती फूल की खुशबू
भ्रमर को खींच लाती है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
बसंत की मीठी खुशबू (कविता )
बसंती रंग कलियों का
बिखर कर नूर होता है
अभागा है वो दुनियाँ में
जो इससे दूर होता है।
वो पीली सरसों के फूल ,
वह लहराते खेत ,
हमारे मन को लुभाते हैं ।
देखकर यह छठा प्यारी
भ्रमर भी डोल जाते हैं ।।
सुहानी शाम खुशबू की
हमें कितना सुहाती है।
शरबती फूल की खुशबू
भ्रमर को खींच लाती है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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