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काश कि मैं तेरे काबिल होता,
तो शायद आज तू मेरे साथ होती,
काश कि तू मेरे साथ होती
मुझ डूबते हुए तिनके का तू सहारा होती,
काश कि तू सहारा होती,
मेरे दिल के दरिया का तू किनारा होती,
काश कि तू किनारा होती,
मेरी कश्ती की डोर तू थामे रखती,
काश कि तू डोर होती,
मेरी जिंदगी की पतंग क़ो बांधे रखती,
काश तू मेरी हमसफऱ होती,
तो सफऱ कि राहे बडी हसीन होती,
काश कि तू मेरी जिंदगी में होती,
तो मेरी ज़िन्दगी आज बडी खुशहाल होती,
लेकिन अफ़सोस तू नहीं है मेरे साथ,
काश कि मैं तेरे काबिल होता,
तो शायद आज तू मेरे साथ होती..!!
स्वरचित -हरीश विद्रोही
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