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मैं जान रहा हूँ तुमको माधव,
नियति नियंता तुम ही हो माधव,
धर्म प्रणेता तुम ही हो माधव!
पांडव अर्जुन कोई वीर नहीं,
बस तुम ही संचालक हो माधव,
गुरु द्रोण के ज्ञान सीमा,
अंतिम सागर तुम ही हो माधव,
महामहिम की भीष्म प्रतिज्ञा,
अंतिम सार तुम ही हो माधव,
द्रोपदी का क्षीर बचाने,
तुम ही उसके रक्षक माधव,
अभिमन्यु क़ो यशस्वी भवो वरदान दिया,
तुम ही जगत गुरु हो माधव,
जयद्रथ के वध की खातिर,
सूरज क़ो बदल ओट छिपाने वाले,
केवल तुम ही मायावी हो माधव,
दुर्योधन की जंघा तोड़ो,
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