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वो गजल वालों का उस्लुफ समझते होंगे
चांद किसे कहते हैं खूब समझते होंगे
इतनी मिलते हैँ मेरी गलजों से सूरत तेरी
कि लोग तुझको मेरा मेहबूब समझतें होंगे
चांद किसे कहते हैं खूब समझते होंगे
इतनी मिलते हैँ मेरी गलजों से सूरत तेरी
कि लोग तुझको मेरा मेहबूब समझतें होंगे
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