
Share0 Bookmarks 208 Reads1 Likes
युद्ध जब भी हुए,
युद्धों का गवाह बनीं
इतिहास की किताबें ।
क्योंकि
जो युद्ध में तबाह हुए
तबाही देखने के लिए
उनकी आंखें नहीं बचीं ।
और जो जीत गए
विजय पताका फहराने को
उनके हाथ नहीं मिले ।
जिन युद्धपोतों से लड़ी गई जंग
वो सजा दिए गए
संग्रहालयों में।
जो वीरगति को प्राप्त हुए
वो नाम खरोंच दिए गए
स्मारकों पे ।
और जो शासक विजयी हुए
वो चले शहंशाह की तरह
जीती हुई ज़मीं पर ।
पर उनका क्या
जो बेनाम थे
शासकों के लिए
और फिर एक एक कर
गुमनाम हो गए ...??
अपनी ही ज़मीं पर
जिस पर जमे हुए ख़ून के बीच से
बह निकलते थे आंसू
और जीत के शोर में
मिली हुई एक आवाज़ होती थी
सहमी हुई सिसकियों की ।
युद्ध सिर्फ लड़े नहीं गए
युद्ध जिए गए ।
युद्ध में हमेशा ही
जीती गई सिर्फ ज़मीनें
युद्ध में हमेशा ही हारे
इंसान और इंसानियत ।।
~गुंजन
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments