
Share0 Bookmarks 143 Reads2 Likes
ईश्वर ने जब सृष्टि को रचा
किसी भी चीज़ को
रंग से ख़ाली न रखा
छोड़ दिया बस पानी
बेरंग बेस्वाद ।।
इस ज़्यादती पर
बहुत रोया पानी ।।
उसके आंसुओं में
भी स्वाद था
नमक का ।।
उसकी ईश्वर से नाराज़गी
जायज़ थी ।।
पानी घुल रहा था अपनी उदासियों में
और उदासियां घुल रही थीं
सृ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments