
साड़ी एक प्राथमिक पोशाक हैं
भारत, श्रीलंका, नेपाल में पहनते हैं
इसका बहुत ही फायदे भी हैं
इसलिए तो युग युगों से मौजूद हैं।
बच्चे को गोदी में सुलाते हैं
दूध पिलाने समय बच्चे का मूंह डक लेते हैं
बच्चा सो रहा है तो साड़ी से ओड लेते हैं
गर्मी जादा है तो साड़ी की आंचल से हवा मारते हैं।
ज़रूरत पड़े तो पल्लू एक थैली बनती हैं
ठंड लगी तो पल्लू से ओड लेते हैं
साड़ी की अंच से कान भी साफ करते हैं
बड़ों को सम्मान देने पल्लू सिर पर ओड लेते हैं।
साड़ी अलग-अलग जगा में तरह-तरह से पहनते हैं
कपूर चिस्थी के अनुसार 108 तरह साड़ी पहन सकते हैं
कालेज में साड़ी सिर्फ एक जातीय वस्त्र बन गया हैं
साड़ी को एक मुश्किल वस्त्र मान लिया हैं।
इन दिनों सलवार कमीज सामान्य पोशाक होगया हैं
युवा लड़कियाँ भी सलवार कमीज ही पहनते हैं
साड़ी बहुत कम औरते पसंद करते हैं
सिर्फ शादी या त्यौहार जैसे अवसर पर पहनते हैं।
पुरानी साड़ी से सलवार भी सिला की जाती हैं
लड़की के लिए लहंगा भी बन सकती हैं
कुछ लोग इसको कर्टन या तकिए कवर बनाते हैं
अंत में फट गए तो घर का डस्टर हो जाता हैं।
साड़ी नारी की नम्रता रक्षा करती हैं
साड़ी भारत की एक अनमोल पहचान हैं
पर साड़ी का असली महत्त्व कम हो गया हैं
आने वाले दिनों में साड़ी वस्त्र गायब हो सकता हैं।
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